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à¤à¥à¤°à¥‚ण हतà¥à¤¯à¤¾Publisher: Saranjeet Singh | Published: 17 Mar 2016 4:44 pmभ्रूण हत्या, मानवता मे सबसे बड़ा पाप हम हिंदू कर रहे है. मुसलमान और क्रिस्चन में ना के बराबर है, जिसे अगर परमात्मा होगा तो कभी माफ़ नही करेगा. करना भी नही चाहिए. एक बच्ची को जिंदा ही पेट मे मार देना, मेरी राय मे हमारे ग़लत रीति रिवाज ज़िम्मेदार है. पहले वैदिक धर्म मे बेटी का विवाह इस्लाम और क्रिस्चन की तरह मामा, बुआ, ताऊ, चाचा मे होता था. बेटी अपने परिवार मे ही होती थी, इसलिए बेटी को पराया धन नही समझा जाता था. परिवार मे शादी होने से दहेज, की चिंता नही होती थी, जब भाई की लड़की बहन के लड़के से बहू बन कर आती थी, सास बहू के झगड़े भी नही होते थे. हमारे कुछ नेताओ ने हिंदू मुस्लिम मे नफ़रत पैदा करने के लिए इन पर रोक लगाई है. भगवान कृष्ण की राधा उनके ताऊ व्रषभानु की बेटी थी. कृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा की शादी अपनी बुआ कुंती के लड़के अर्जुन से की. भगवान महावीर की पत्नी उनके मामा की बेटी थी. भगवान बुद्ध की पत्नी, उनकी मोसी की बेटी थी. सम्राट अशोक की पत्नी मोसी की बेटी थी. पृथ्विराज चौहान की पत्नी उनके सग़ी मोसी के बेटे जैचंद की बेटी है. आज भी दक्षिण भारत के हिंदू मामा-बुआ मे ही शादी करते है, इसलिए भ्रूण हत्या नही है वैदिक धर्म को अपनाने से हम इस महा पाप से मुक्त हो सकते है. समस्या के मूल मे जाने से ही समस्या को समाप्त किया जा सकता है. केवल बेटी बचाओ दिवस मनाने से या नारे बाजी करने से नही. बेटी के घर की रोटी या उसकी कमाई खाना पाप है, ये संकीर्ण विचार धारा भी इसकी ज़िम्मेदार है. |